Kharif Crop Sowing: अच्छी बारिश से जम्मू के किसानों के चेहरे खिले, धान की बेहतर पैदावार की उम्मीद
Kharif Crop Sowing: जम्मू के मैदानी इलाकों और पहाड़ी इलाकों के कुछ हिस्सों में धान की बुवाई चल रही है. बासमती की फसल को कटाई के चरण तक पहुंचने में 160-170 दिन लगते हैं और इस दौरान उसे बहुत अधिक पानी की जरूरत होती है.
किसानों के लिए धान की खेती खासकर विश्व प्रसिद्ध बासमती चावल, आय का एकमात्र स्रोत है. (Image- Pexels)
किसानों के लिए धान की खेती खासकर विश्व प्रसिद्ध बासमती चावल, आय का एकमात्र स्रोत है. (Image- Pexels)
Kharif Crop Sowing: जम्मू संभाग में मानसूनी हवाओं और पश्चिमी विक्षोभ के प्रभाव से हो रही अच्छी बारिश के बीच पिछले सप्ताह से धान की खेती जोर पकड़ने लगी है. जम्मू क्षेत्र के आर एस पुरा, मढ़ और सांबा एवं कठुआ जिलों के अधिकांश किसानों के लिए धान की खेती (Paddy Crop), खासकर विश्व प्रसिद्ध बासमती चावल, आय का एकमात्र स्रोत है. किसानों को पिछले साल से बेहतर पैदावार होने की उम्मीद है.
कृषि विभाग के संयुक्त निदेशक ए एस रीन ने कहा, जम्मू क्षेत्र में धान (Paddy) और मक्का (Maize) मुख्य फसलें हैं जो बारिश के पानी पर निर्भर हैं. मानसून से पहले की बारिश अच्छी हुई थी. मानसून भी समय पर आ गया है जो अच्छा है. उन्होंने कहा कि ज्यादातर वर्षा आधारित पहाड़ी इलाकों में होने वाली मक्के (Maize) की बुआई कुछ समय पहले पूरी हो गई थी और पिछले सप्ताह से लगातार हो रही बारिश इस फसल के लिए वरदान है.
ये भी पढ़ें- मालामाल कर देगी मुर्गे की ये नस्ल, होगी छप्परफाड़ कमाई
TRENDING NOW
TATA Group के इस स्टॉक से गिरते बाजार में भी होगी तगड़ी कमाई! शॉर्ट टर्म में खरीदारी का नोट करें टारगेट
EMI का बोझ से मिलेगा मिडिल क्लास को छुटकारा? वित्त मंत्री के बयान से मिला Repo Rate घटने का इशारा, रियल एस्टेट सेक्टर भी खुश
भारी गिरावट में बेच दें ये 2 शेयर और 4 शेयर कर लें पोर्टफोलियो में शामिल! एक्सपर्ट ने बताई कमाई की स्ट्रैटेजी
मजबूती तो छोड़ो ये कार किसी लिहाज से भी नहीं है Safe! बड़ों से लेकर बच्चे तक नहीं है सुरक्षित, मिली 0 रेटिंग
मल्टीबैगर Railway PSU के लिए खुशखबरी! बाजार बंद होने के बाद मिला ₹837 करोड़ का ऑर्डर, स्टॉक पर रखें नजर
अब जम्मू के मैदानी इलाकों और पहाड़ी इलाकों के कुछ हिस्सों में धान की बुवाई चल रही है. बासमती की फसल को कटाई के चरण तक पहुंचने में 160-170 दिन लगते हैं और इस दौरान उसे बहुत अधिक पानी की जरूरत होती है.
30% तक बढ़ सकता है धान और मक्का का उत्पादन
रीन ने कहा कि जम्मू में धान का उत्पादन लगभग 4 लाख क्विंटल है जबकि स्थानीय मांग को पूरा करने के लिए भारतीय खाद्य निगम के माध्यम से 2 लाख क्विंटल चावल खरीदा जाता है. मक्के का उत्पादन लगभग 4 लाख क्विंटल है और विभाग किसानों को उनकी अतिरिक्त उपज बेचने की सुविधा देता है. उन्होंने कहा कि सर्वोत्तम गुणवत्ता वाले बीज, उचित उर्वरक और वर्षा जल सहित अलग-अलग कारकों के आधार पर धान और मक्का का उत्पादन 25 से 30% तक बढ़ सकता है.
ये भी पढ़ें- 10 से 15 हजार रुपये किलो बिकता है इस फूल का तेल, यहां के किसानों को बना रहा मालामाल
जम्मू शहर के बाहरी इलाके में मढ़ ब्लॉक के एक किसान दर्शन कुमार ने कहा, बारिश धान की खेती के लिए फायदेमंद है. फसल की सफलता अगले एक महीने के दौरान पानी की उपलब्धता पर निर्भर करती है और अगर अच्छा मानसून रहा, तो हमें इस बार अच्छी पैदावार होने की उम्मीद है.
जम्मू क्षेत्र के कृषि निदेशक के के शर्मा ने कहा कि प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना (PMFBY) फसल के नुकसान से पीड़ित किसानों के वित्तीय जोखिम को कम करने और उनकी आय को स्थिर करने में सहायता करने में काफी मदद करेगी.
ये भी पढ़ें- सरकार का बड़ा फैसला! PMLA के तहत लाया जाएगा GST नेटवर्क, अब गड़बड़ी करने वालों पर ED करेगी कार्रवाई
Zee Business Hindi Live TV यहां देखें
12:15 PM IST